झुंझुनू का पर्यटन वैभव एवं कला और संस्कृति

एक परिचय इतिहास  पर्यटन स्थल



 

झुंझुनू का पर्यटन वैभव
 

देश के मुकुट में मणि की भांति सुशोभित झुंझुनू का पर्यटन द्रष्टि से भी महत्त्व शीर्ष पर हैं! मूर्तिकला के अकूत वैभव और भित्ति चित्रों से लड़ी पड़ी यहाँ की मोहक हवेलियाँ हरी भरी वादियाँ स्वर्णिम भंडार सा आभास देते बालू के टीले, पर्यटन को अपनी और आकर्षित करते हैं ! यही झुंझुनू की माटी की विशेषता हैं ! झुंझुनू जिले में मंडवा, मुक्कुन्द्गढ़, डूंडलोड, महनसर, ख्सेत्दी, बिसाऊ आदि के किले और राजप्रासाद , अलसीसर, मलसीसर, झुंझुनू, परसरामपुरा, उदायापुरावती , गांगियासर आदि स्थानों पर स्थित कलात्मक कुए, बावडी व् छतरियां, नरहड़, झुंझुनू, चिडावा, नवलगढ़, लोहार्गल, किरोडी, डाबडी, मंडावा, टीबा बसई आदि के भव्य धार्मिक स्थल, जिले के गाँवो और कस्बों में बने पुराने व् कलात्मक जोहड व् तालाब तथा होटल हेरिटेज परम्परा को प्रतिबिंबित करते राजप्रासाद इन दिनों स्वदेशी और विदेशी सैलानियों की नज़रों में आनन्-फानन कैद होने वाले दर्शनीय स्थल हैं |

लोहार्गल

सूर्यकुंड (लोहार्गल)  

झुंझुनू जिले के दक्षिण में जिला मुख्यालय से लगभग ६० की.मी. दूर अरावली पर्वत श्रंखला में स्थित यह पवित्र स्थल सीकर - नीम का थाना सड़क मार्ग पर सीकर से लगभग ३५ किमी. दूर हैं ! यहाँ का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य दर्शनीय हैं ! भाद्रपद माह में श्री कृषण जन्मास्टमी से अमावस्या तक प्रत्येक वर्ष लोहार्गल के पहाडो में हजारों लाखों नर नारी पैदल परिक्रमा  हैं और अमावस्या के दिन सूर्य कुंद में पवित्र स्नान के साथ यह 'फेरी'  विधिवत संपन्न होती हैं !

झुंझुनू

हिंदू और मुस्लिम शकों के अधीन रहा झुंझुनू शहर आज प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव की द्रष्टि से एक विशिष्ट स्थान रखता है | दिल्ली, जपुर, बीकानेर, जोधपुर, अलवर, सीकर, चुरू, नारनौल, रेवाडी व् अन्य स्थानों से सीधा जुदा यह शहर भित्ति चित्रों, स्मारकों, धार्मिक स्थलों तालाबों आदि की विविधताओं का दर्शन करने वाला अनूठा शहर है |

झुंझुनू में कमरुद्दीन शाह की दरगाह का विशाल और विहंगम परिसर देखने लायक है, तो पड़ी पर बना मनसा माता का मन्दिर भी दर्शनीय है | इन दोनों स्थानों से शहर का नयनाभिराम द्रश्य बहुत आकर्षक लगता है | इशावार्दास मोदी की हवेली में भित्ति चित्रों की भव्यता के साथ-साथ सैकडों झरोखों की चित्ताकर्षक छटा भी दर्शनीय है | शहर में बना खेतड़ी महल एक प्रकार का हवा महल है तो मेदत्नी बावडी और बदल्गढ़ भी नज़रों में कैद हो जाने वाले स्थल हैं |

समस तालाब, चंचल्नाथ टीला, जोरावार्गढ़, बिहारी जी का मन्दिर, बंधे का बालाजी, रानी सटी मन्दिर, खेमी शक्ति मन्दिर, लक्ष्मीनाथ जी का मन्दिर, दादाबाडी, अरविन्द आश्रम, मोडा पहाड़, खेतान बावडी, शेखावत शासकों की छतरियां, तीब्देवालों की हवेलियाँ, नवाब रुहेल खान का मकबरा, जामा मस्जिद तथा झुंझुनू के निकट आबूसर में नव स्थापित शिल्पग्राम व् ग्रामीण हट जैसे अनेक अन्य दर्शनीय स्थल भी झुंझुनू में हैं | प्रय्त्कों के आवागमन में हो रही वृद्धि के कारण गत एक दशक में यहाँ होटल व्यवसाय भी काफी बढ़ा है | झुंझुनू स्थित प्रय्टक स्वागत केन्द्र सीकर, चुरू और झुंझुनू तीनों जिलों में प्रय्त्कीय विकास के लिए प्रयत्नशील हैं |

नवलगढ़

जयपुर-झुंझुनू सड़क और हैल्मार्ग पर झुंझुनू से ४० किलोमीटर की बुरी पर नवलगढ़ क़स्बा बसा हुआ है | यह क़स्बा भी दिल्ली और जयपुर से सीधी रेल बस सेवा से जुडा हुआ है | नवलगढ़ का दुर्ग, रूप निवास पैलेस , आठ हवेली, पोद्दार, भगत पटोदिया, चौखती, सेकसरिया व् अन्य परिवारों की हवेलियाँ, गंगा माता का मन्दिर आदि नवलगढ़ के दर्शनीय स्थल हैं | नवलगढ़ की हवेलियों में भट्टी चित्रों का तो आकर्षण है ही साथ ही लकड़ी के दरवाजों की बारीक जलियाँ भी जादुई काष्ठ कला का दिग्दर्शन कराती है | नवलगढ़ में हर वर्ष भाद्रपद माह में बाबा रामदेव का लक्खी मेला भरता है | इस अवसर पर राज्य और राष्ट्रिय स्तर की खेल स्पर्धाएं भी आयोजित होती है |

मंडावा

शेखावाटी में विदेशी पर्यटकों के आवास एवं रात्रि विश्राम की द्रष्टि से अग्रणी मने जाने वाला झुंझुनू जिले का मंडावा क़स्बा जिला मुख्यालय से २५ किलोमीटर दूर है | झुंझुनू, मुकुंदगढ़ और फतेहपुर से जुदा होने के कारण यह क़स्बा दिल्ली, जयपुर और बीकानेर से भी जुड़ गया है | मंडवा में किला, रेत के धोरे, पारदर्शी शिवलिंग आदि दर्शनीय है | इनके आलावा यहाँ ऐसी हवेलियाँ है जिनके नयनाभिराम भित्ति चित्रों को देखकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं |

डून्डलोड

झुंझुनू से ३५ किलोमीटर (सीकर की तरफ) दूर जयपुर-झुंझुनू सड़क मार्ग स्थित डून्डलोड क़स्बा दिल्ली और जयपुर से सीधी रेल व् बस सेवा से जुडा हुआ है | डून्डलोड में किला, गोयनका छतरी आदि दर्शनीय हैं | मंडावा की तरह यहाँ भी विदेशी सैलानियों का जमघट लगा रहता है | फ़िल्म और टेलीविजन की दुनिया से जुड़े लोगों ने पिछले दिनों इस स्थान पर फीचर फिल्मों व् धारावाहिकों का छायांकन भी किया है | इसके अलावा डून्डलोड में निजी क्षेत्र में गर्दभ अभ्यारण्य भी स्थपित हुआ है जो देश का पांचवा और राजस्थान का पहला गर्दभ अभ्यारण्य है | डून्डलोड फोर्ट की और से होर्से पोलो व् अश्व सम्बन्धी अन्य आयोजन भी यहाँ किए जाते रहे है |

महनसर

झुंझुनू जिले का महनसर क़स्बा जयपुर-चुरू रेल मार्ग पर स्थित है | झुंझुनू से ४५ किलोमीटर दूर इस कस्बेनुमा गाँव में चुरू, झुंझुनू तथा सीकर जिले के रामगढ शेखवाटी से बस द्वारा भी पहुँचा जा सकता है | महनसर में पौदारों की सोने की दुकान पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है | इस दुकान के भित्ति चित्रों में श्रीराम और श्रीक्रिशन की लीलाओं का नयन प्रिय चित्रण किया गया है | यहाँ के भित्ति चित्रों पर स्वर्णिम पालिश होने के कारण ही यह दुकान सोने की दुकान कहलाती है | महनसर में रघुनाथ जी का मन्दिर, तोलाराम मसखरा का आकर्षक महफिल खाना तथा अन्य हवेलियाँ भी दर्शनीय हैं |

खेतड़ी

प्राचीन शेखावाटी का सबसे बड़ा ठिकाना खेतड़ी भारत की ताम्र नगरी के नाम से जन जाता है | झुंझुनू से ७० किमी की दूरी पर स्थित यह स्थान दिल्ली, जयपुर और झुंझुनू से सड़क मार्ग से जुदा हुआ है | अरावली के गर्भ में करीब ७५ किलोमीटर लम्बी ताम्र पत्ती के ऊपरी छोर पर खेतड़ी स्थित है, जहाँ देश का एक मात्र ताम्बा उत्पादक संसथान हिंदुस्तान कापर लिमिटेड है | खेतड़ी नगर जहाँ ताम्बा उपक्रम के कारन देश के कोने-कोने से आए खनन कार्मिकों का निवास स्थल है वहीं खेतड़ी क़स्बा अपनी ऐतिहासिक पहचान के कारन दर्शनीय है | खेतड़ी में रामकृष्ण मिशन मैथ, भोपालगढ़ का दुर्ग, पन्नालाल शाह का तलब, अजीत सागर बागोर का किला, भातियानीजी का मन्दिर आदि दर्शनीय स्थल है | अरावली पर्वत श्रंखला ने खेतड़ी को अपनी बाँहों में समेट हुआ है |

टीबा-बसई

खेतड़ी के निकट हरियाणा राज्य की सीमा पर जिले का टीबा-बसई गाँव है जहाँ बाबा रामेश्वर दस का मन्दिर दर्शनीय है | इस मन्दिर में अति विशाल मूर्तियाँ, दीवारों पर अंकित गीता व् अन्य धर्म ग्रंथों के पवित्र श्लोक और मन्दिर के विशाल परिसर की भव्यता एक अपूर्व झांकी के सामान है |

नरहड़

झुंझुनू से ४० किलोमीटर दूर जयपुर - पिलानी सड़क मार्ग पर चिडावा से ८ किलोमीटर सड़क मार्ग नरहड़ तक जाता है | यह स्थान केवल शेखावाटी और राजस्थान का ही नहीं अपितु भारत वर्ष का गौरवशाली स्थल है + यहाँ हर वर्ष श्रीक्रिशन जन्माष्टमी पर शक्कर पीर बाबा का मेला भरता है | इस तरह की मिसाल अन्यत्र देखने को नहीं मिलती हैं | नरहड़ में शक्कर पीर बाबा की ऐतिहासिक दरगाह है, जहाँ हिंदू और मुस्लिम दोनों ही श्रद्धा के साथ आते है | विशाल एवं भव्य बुलंद दरवाजे से होकर दरगाह शरीफ तक पंहुचा जाता है, जहाँ एक आयताकार चौक में मानसिक विकृति वाले लोगों के शरीर पर पवित्र मिटटी रगडी जाती है | कहते हैं , एसा करने पर उन्हें विक्षिप्तावस्था से मुक्ति मिल जाती है | यह गाँव चिडावा पंचायत समिति का ग्राम पंचायत मुख्यालय है और यहाँ यात्रियों के आवास के लिए धर्मशाला और तिबारे बने हुए हैं |

पिलानी

तकनीकी शिक्षा का राष्ट्रिय सिरमौर पिलानी न केवल झुंझुनू का अपितु पूरे देश का गौरव स्थल है | देश के विभिन्न राज्यों से विद्धाध्यन के लिए आने वाले छात्र-छात्रों ने पिलानी में विद्ध्या विहार परिसर को लघु भारत का स्वरूप दे दिया है | पिलानी में भारत सरकार का एक उपक्रम केन्द्रीय एलेक्ट्रोनेकी आभियांत्रिकी अनुसन्धान संसथान (सीरी) भी है जो देश के विज्ञानं और तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है |

पिलानी का बिरला म्यूजियम एशिया के अरनी संग्राहलयों में अपना स्थान रखता है तो बिरला हवेली में बिरला परिवार के ऐतिहासिकता से साक्षात्कार कराने वाला संग्रहालय भी दर्शनीय है| पंचवटी परिसर में मातुराम वर्मा द्वारा बनाई और तराशी गई सजीव मूर्तियाँ सैलानियों को आकर्षित करती है तो संगमरमर से बना सरस्वती मन्दिर भी पर्यटकों के दिल और दिमाग में रच बस जाता है |